लीक की सीख

केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की दसवीं कक्षा के परीक्षार्थियों के लिए मंगलवार को एक राहत भरी खबर मानव संसाधन विकास मंत्रालय के ट्वीट से आई। यह कि दसवीं कक्षा का गणित का पेपर दोबारा नहीं होगा। देश में व्यापक आधार वाले प्रतिष्ठित सीबीएसई द्वारा आयोजित परीक्षा के पेपर लीक होने के बाद बोर्ड की जैसी छवि बनी, उसे गैरजिज्मेदाराना व्यवहार ही कहा जा सकता है। हालांकि 10वीं कक्षा के गणित और 12वीं कक्षा के अर्थशास्त्र के पेपर लीक मामले में जांच शुरू हो चुकी है। कुछ गिरउतारियां भी हुई हैं। सीबीएसई के एक अधिकारी को निलंबित करके मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने जांच के लिए एक समिति भी गठित की है। पहले पेपर लीक मामले में लीपापोती और फिर स्थापित मानदंड या प्रक्रिया का पालन किये पहले दोबारा परीक्षा कराने की घोषणा, फिर परीक्षा न कराने का फैसला यह दर्शाता है कि बोर्ड व मंत्रालय में सब कुछ सुचारु व व्यवस्थित ढंग से नहीं चल रहा है।विडंबना है कि प्रश्नपत्र लीक होने, दोबारा परीक्षा कराने और अब परीक्षा न कराने की तमाम घोषणाएं किसी राजनीतिक बहस-चर्चा की ही तरह ट्विटर पर ही निपटाई जाती रहीं। तीस मार्च को मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावडेकर ने ट्वीटों की झड़ी लगा दी और बताया कि विद्यार्थियों के प्रति सरकार संवेदनशील है। कुल नौ ट्वीट करके मंत्री महोदय ने देश को बताया कि दोबारा परीक्षा लिया जाना विद्यार्थियों के हित में नहीं है, लिहाजा जांच कराके यह सुनिश्चित किया जाएगा कि केवल एनसीआर और हरियाणा राज्यों के परीक्षार्थियों को दोबारा परीक्षा देनी पड़े। यदि लीक का असर व्यापक हुआ तो जुलाई में पुन- परीक्षा होगी। सीबीएसई का यह बयान गौरतलब है कि '10वीं की परीक्षाएं 11वीं के लिए प्रवेश द्वार होती हैं और स्कूली शिक्षा का आंतरिक भाग बनी रहती हैं। दूसरी ओर 12वीं कक्षा की परीक्षाएं उच्च शिक्षा एवं सीमित सीटों वाली विभिन्न पेशेवर प्रतिस्पर्धी परीक्षाओं का प्रवेश द्वार होती हैं। लिहाजा, 12वीं के अर्थशास्त्र के पेपर के कथित लीक के मुट्ठी भर लाभार्थियों को अनुचित फायदा देना छात्रों के व्यापक हित में नहीं होगा।' किसी बोर्ड परीक्षा के पर्चा लीक होने या परीक्षा कराने के मामले को राजनीतिक रंग दिये जाने का ढंग जितना चौंकाने वाला है, उतना ही चिंतनीय है ट्विटर शैली में इस प्रकरण को निपटाने का नजरिया। बेहतर हो सीबीएसई व सरकार नकल, प्रश्नपत्र लीक जैसे मामलों पर समग्रता और गंभीरता से विचार करे।